वहां तक तो चलो, जहां तक साथ मुमकिन है
जहां हालात बदलें, वहां तुम भी बदल जाना।
- रविन्द्र श्रीवास्तव की फेसबुक वाल से
जहां हालात बदलें, वहां तुम भी बदल जाना।
- रविन्द्र श्रीवास्तव की फेसबुक वाल से
अपनी बात------------------- अमरीका में रहते कुछ काम नहीं था । पढ़ने का समय खूब था । खूब पढ़ा । कुछ रचनाए बहुत पसंद आई । डायरी कितनी बनाता । इसलियें ये ब्लॉग बना दिया । इसमे मुझे जहाँ से जो पसंद आया लिया और जिसने फेस बुक पर या कहीं और पोस्ट किया था , डाल दिया । डालने वाले का नाम भी दिया |ये सिलसिला आज भी जारी है।