अपनी बात-------------------
अमरीका में रहते कुछ काम नहीं था । पढ़ने का समय खूब था । खूब पढ़ा । कुछ रचनाए बहुत पसंद आई । डायरी कितनी बनाता । इसलियें ये ब्लॉग बना दिया । इसमे मुझे जहाँ से जो पसंद आया लिया और जिसने फेस बुक पर या कहीं और पोस्ट किया था , डाल दिया । डालने वाले का नाम भी दिया |ये सिलसिला आज भी जारी है।
Saturday 18 June 2016
वहां तक तो चलो, जहां तक साथ मुमकिन है जहां हालात बदलें, वहां तुम भी बदल जाना। - रविन्द्र श्रीवास्तव की फेसबुक वाल से
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