अपनी बात-------------------
अमरीका में रहते कुछ काम नहीं था । पढ़ने का समय खूब था । खूब पढ़ा । कुछ रचनाए बहुत पसंद आई । डायरी कितनी बनाता । इसलियें ये ब्लॉग बना दिया । इसमे मुझे जहाँ से जो पसंद आया लिया और जिसने फेस बुक पर या कहीं और पोस्ट किया था , डाल दिया । डालने वाले का नाम भी दिया |ये सिलसिला आज भी जारी है।
Thursday 28 April 2016
कहो या ना कहो दिल में तुम्हारे लाख बातें हैं, कि इस दुनिया में तुमको हम से बेहतर कौन समझेगा। रविन्द्र श्रीवास्तव की फेस बुक वाल से
No comments:
Post a Comment