Tuesday 29 March 2016

सलीक़ा हो अगर भीगी हुई आँखों को पढने का,

तो फिर बहते हुए आंसू भी अक्सर बात करते हैं।


-अन्नु चतुर्वेदी की फेसबुक वॉल से

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