Tuesday 29 March 2016

मै नासमझ ही सही,मगर वो तारा हूं जो,
तेरी इक ख्वाहिश के लिए सौबार टूट जांऊगा।
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     जा दिखा दुनिया को, मुझको क्या दिखाता है गुरूर.

      तू समंदर हो तो हो , मैं तो मगर प्यासा नहीं|

-अफसोस कि हमने भी,ख्वाब सजाए थे
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कहने को फसाने हैं, सुनने को बहाने हैं।
-रविंद्र श्रीवास्तव की फेसबुक वॉल  से

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