अपनी बात-------------------
अमरीका में रहते कुछ काम नहीं था । पढ़ने का समय खूब था । खूब पढ़ा । कुछ रचनाए बहुत पसंद आई । डायरी कितनी बनाता । इसलियें ये ब्लॉग बना दिया । इसमे मुझे जहाँ से जो पसंद आया लिया और जिसने फेस बुक पर या कहीं और पोस्ट किया था , डाल दिया । डालने वाले का नाम भी दिया |ये सिलसिला आज भी जारी है।
Tuesday 2 February 2016
पलकों की हद को तोड़ के दामन पे आ गिरा
पलकों की हद को तोड़ के दामन पे आ गिरा.
एक अशक मेरे सब्र की तोहीन कर गया |
-श्री रवीद्र श्रीवास्तव की फेस बुक वाल से<
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