Wednesday 21 October 2015

मुझें पतझड़ों की कहानियां ना सुना सुना के उदास कर ,
नए मोसम का पता बता ,जो गुजर गया सो गुजर गया
पंडित प्रमोद शुक्ला
- अनवर' माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं रोना.........!!
जहाँ बुनियाद हो, वहां, इतनी नमी अच्छी नहीं होती.
anwar jamils sher by ekbal ahmad

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