Sunday 25 October 2015


जीना मुहाल था जिसे देखे बिना कभी 
 उसके बग़ैर कितने ज़माने गुज़र गए... -फ़िरदौस ख़ान
 प्रवीण वशिष्ट
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तुमने ज़मीर बेचकर अच्छा नही किया । 
 अब तुमसे हर मुक़ाम पर सौदा करेंगे लोग ।
-शकील अहमद  
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 उसके दुश्मन हैं बहुत, आदमी अच्छा होगा
 वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा 
 अतुल टंडन 
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मौत के डर से नाहक परेशान हैं आप,
जिंदगी कहां है जो मर जांएगे,
तुम्हारा दिल हो या काबा हो या बुतखाना,
हमें तो हर जगह पत्थर दिखाई  देता है।
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छू न पाई तेरा बदन वर्ना,
 धूप का हाथ जल गया होता।
-अंसार कंबरी

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