Sunday 25 October 2015

मेरे अमेरिका प्रवासके दौरान डाक्टर अजय जनमेजय के दो दोहे
सारे ही हलकान है ,चला गया है लाल |
बिना मधुप अब क्या करें ,आ करके भूचाल
 जल्दी से आ जाईये ,लेकर हंसी गुलाल ,
बिन तेरे बिजनौर का ,जाने क्या हो हाल।
 डॉ अजय जन्मेजय
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कत्ल हुआ हमारा कुछ इस तरह किश्तों में ,
कभी खंजर बदल गए ,कभी कातिल बदल गए ।
    - महेश कुमार मिश्रा  

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