Saturday 24 October 2015

मेरी पसंद

मुफ़्त में राहत नहीं देगी हवा चालाक है

लूटकर ले जाएगी मेरे पसीने का मज़ा

- ओम प्रकाश नदीम
…। 

मैं तो अख़बार के धोके में आ गया दिल्ली

ये छपा था कि यहाँ मुझ-से दिवाने हैं कई
-मुकुल सरल की फेसबुक वाल से

क्या बंटवारा था इन हाथों की लकीरों का भी ....
उसके हिस्से में प्यार आया और मेरे हिस्से इंतजार
|रूदरेश कुमार की फेसबुक वाल से

कमाल का हौसला द‌िया, रब ने इन इंसानों को
वाकिफ  हम अगले पल से नही और वादे कर लेतें  हैं जन्मों के ।
डा अमृता सिंह की फेसबुक वाल से 

 -एक निवाले के लिये इंसान ने जिसे मार दिया,

वो परिंदा भी कई रोज का भूखा निकला।

-विवेक गुप्ता की  वाल से 

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