" वो हंसकर पूछते है हमसे ,
तुम कुछ बदल बदल से गए हो...
और हम मुस्कुरा के जवाब देते है ,
टूटे हुए पत्तों का , अक्सर रंग बदल जाता है "
-अतुल चौहान
......................................................................
" दिखाने के लिए तो हम भी बना सकते हैं ताजमहल,
मगर अपनी मुमताज को मरने दे हम वो शाहजहाँ भी नही.!
इश्क के समंदर में गोता लगाया वाह वाह..!
.पर पानी बहुत ठंडा था इसलिए बाहर निकल आया..!!
चेहरा बता रहा था कि... "मारा है भूख ने
और लोग कह रहे थे कि कुछ खा के मरा है
- नीरज कुमार अग्रवाल
तुम कुछ बदल बदल से गए हो...
और हम मुस्कुरा के जवाब देते है ,
टूटे हुए पत्तों का , अक्सर रंग बदल जाता है "
-अतुल चौहान
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" दिखाने के लिए तो हम भी बना सकते हैं ताजमहल,
मगर अपनी मुमताज को मरने दे हम वो शाहजहाँ भी नही.!
इश्क के समंदर में गोता लगाया वाह वाह..!
.पर पानी बहुत ठंडा था इसलिए बाहर निकल आया..!!
चेहरा बता रहा था कि... "मारा है भूख ने
और लोग कह रहे थे कि कुछ खा के मरा है
- नीरज कुमार अग्रवाल
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